शिक्षा

"शिक्षा"


"शिक्षा" शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की 'शिक्ष' धातु से हुयी है, जिसका अर्थ होता है सीखना| भारतीय परिप्रेक्षय मे इसे "विद्या" कहा गया है, जिसका अर्थ है 'जानना'| विद्या की व्युत्पत्ति संस्कृत की 'विद' धातु से हुयी जिसका अर्थ है जानना|
क्या जानना है तो कहा गया है कि परा व अपरा को जानना| यानि भौतिक जगत मे वेद वेदांग के माध्यम से जगत का संचालन अपरा तथा परमात्मा को जानना परा|
विद्या के ऊपर संस्कृत मे 32 ग्रन्थ का उपलब्ध होना बताया जाता है|
भारतीय परम्परा मे विद्या को अमृतदायिनी बताया गया है| और कहा गया कि यह अमृतत्व संसार से भाग कर नही, अपितु उसमे रत होकर ही प्राप्त होता है|
विद्या मे सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित दुःख भाग्भवेत| की बात है जबकि आधुनिक शिक्षा में इस कल्पना का कोई स्थान नही है|
चार्ल्स ट्रैवेलियन जो कि लोर्ड मैकाले का बहनोई था, उसका लक्ष्य भारत मे विद्या और धर्म को समाप्त करना था जिसके दम पर भारत विश्व गुरु रहा था| वह अपनी पुस्तक" आॅन द एजुकेशन आॅफ पीपुल आॅफ इण्डिया" मे लिखता है कि विद्या और धर्म को शिक्षा और संविधान मे कैसे परिणित किया जाये? और जवाब मे कहता है कि भारतीयो को पढाना नही अपितु पढा हुआ भुलाना है|