दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है। सरकारी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ सकता है। सरकारी योजनाओं का लाभ देने में उन्हीं दम्पति को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके दो या उससे कम बच्चे होंगे। ये संकेत प्रदेश सरकार की तैयार हो रही प्रस्तावित जनसंख्या नीति से मिले हैं।
पंचायत चुनाव में लागू हो सकती है नई जनसंख्या नीति
प्रस्तावित जनसंख्या नीति को सरकारी नौकरियों से भी जोड़ने पर विचार चल रहा है। यह नीति भर्ती से लेकर प्रोन्नति के मामलों मे भी लागू रहेगी। इस साल होने वाले पंचायत और उसके बाद स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ही नई जनसंख्या नीति बन जाने की संभावना है। नीति को सबसे पहले पंचायत चुनावों में लागू किया जा सकता है।
साल 2025 तक 2.1 सकल प्रजनन दर लक्ष्य
सरकार ने साल 2025 तक सकल प्रजनन दर 2.1 तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी तक शहरी आबादी में तो सकल प्रजनन दर 2.1 है। यह शहरी लोगों की खुद की जागरूकता के कारण दर बनी है। लेकिन ग्रामीण आबादी में यही दर 3 तक पहुंच चुकी है। ऐसे में सरकार का फोकस ग्रामीण आबादी पर ज्यादा रहेगा। एक जानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में प्रदेश की जनसंख्या 22 करोड़ से अधिक है। प्रदेश की आबादी हर 10 साल में 20 फीसदी बढ़ रही है।
राजस्थान और मध्यप्रदेश की नीति पर विचार
परिवार कल्याण के महानिदेशक डा.बद्री विशाल ने कहा है अभी राजस्थान और मध्यप्रदेश की जनसंख्या नीति को मंगवा कर उसका अध्यन्न किया जा रहा है। प्रस्तावित जनसंख्या नीति में सरकार नसबंदी ऑपरेशन पर जोर नहीं देगी। बल्कि दो बच्चे वाले दपत्तियों को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने बताया कि जनसंख्या नीति को सरकार के अधीन सभी सेवाओं पर लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
विधानसभा में मंत्री ने जनसंख्या नीति की बात कही
अभी हाल में हुए विधानसभा सत्र में भी चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण मंत्री जय प्रताप सिंह ने दूसरे राज्यों की तर्ज पर जनसंख्या नीति बनाने की बात कही थी। उन्होंने आबादी नियंत्रण के बारे में चलाये जा रहे कार्यक्रमों की चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य पंचायत चुनाव व सरकारी नौकरी में आने की अर्हता को आबादी नियंत्रण उपायों से जोड़ रहे हैं। मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि प्रदेश की सकल प्रजनन दर 2015-16 के अनुसार 2.7 है। इसे 2.1 के स्तर तक लाना है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति देने के लिए 03 से अधिक सकल प्रजनन दर वाले 57 जिलों में 24 अप्रैल 2017 से मिशन परिवार विकास योजना लागू किया जा चुका है।
सदन में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भी कहा था कि सरकार जितने संसाधन बढ़ा ले लेकिन बढ़ती आबादी के आगे यह सब बौने ही साबित हो रहे हैं। मंत्री ने आश्वासन दिया है।
उत्तराखंड में पंचायत चुनाव लड़ने पर लगी थी रोक
पिछले साल उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य में पंचायत चुनाव में इस तरह की पाबंदी लगायी थी। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने इस बाबत जो कानून बनाया उसमें 25 जुलाई 2019 से पहले से इस कानून को प्रभावी किये जाने का प्रावधान किया गया जिसे नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। नैनीताल हाईकोर्ट ने पिछली तारीख से कानून लागू करने के राज्य सरकार के फैसले को अंसवैधानिक करार दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था। मगर 25 जुलाई 2019 के बाद से यह कानून प्रभावी हो गया है। उत्तराखंड के अलावा राजस्थान, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, उड़ीसा, हिमांचल प्रदेश व मध्य प्रदेश में पहले सही दो से अधिक बच्चे वाले दम्पत्तियों के पंचायत व निकाय चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लागू है। यूपी समेत कुछ अन्य राज्य भी इस राह पर अग्रसर हैं।