यूपी बोर्ड परीक्षा के पहले दिन ही इंटरमीडिएट सामान्य हिंदी का एक प्रश्न गलत पूछा गया। बोर्ड की ओर से भेजे गए प्रश्नपत्र सिरीज 302 (जेडजे) का पहला प्रश्न ‘कल्पलता के लेखक हैं' के चार विकल्प महावीर प्रसाद द्विवेदी, प्रो. जी. सुंदर रेड्डी, वासुदेवशरण अग्रवाल और प्रेमचन्द दिया गया था जबकि हिन्दी विषय के विशेषज्ञों ने इसे गलत माना है।
एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में हिंदी के प्रवक्ता अनुपम परिहार और केपी इंटर कॉलेज के हिंदी प्रवक्ता सुरेश मिश्र के अनुसार कल्पलता के लेखक आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं जो विकल्प में नहीं है। विकल्प में दिए गए चार लेखकों में एक वासुदेव शरण अग्रवाल ने ह्यकल्पवृक्षह्ण निबंध लिखा है। प्रेमचन्द ने ह्यकायाकल्पह्ण उपन्यास लिखा है। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार वासुदेव शरण अग्रवाल की एक रचना कल्पलता के नाम से है लेकिन वह इंटर के स्तर से पढ़ाई नहीं जाती।प्रश्न देखने के बाद कई छात्र चकरा गए। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। कुछ छात्रों ने गलत विकल्प ही लिख डाला। एक नंबर के इस प्रश्न को पेपर से हटाएंगे या सभी परीक्षार्थियों को समान रूप से एक-एक अंक दिया जाएगा, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। सचिव नीना श्रीवास्तव का कहना है कि प्रश्न पर विषय विशेषज्ञों की रिपोर्ट लेने के बाद परीक्षा समिति कोई निर्णय लेगी।तीन स्तर पर बनता है पेपर, फिर भी गलत प्रश्न: बोर्ड परीक्षा का पेपर तीन स्तर पर बनता है। पहले बोर्ड के विशेषज्ञ बनाते हैं फिर समिति के सामने रखा जाता है। समिति से मंजूर होने के बाद मॉडरेशन के लिए भेजा जाता है।
2018 की बोर्ड परीक्षा में इंटर अंग्रेजी द्वितीय प्रश्नपत्र में एक विवादित प्रश्न पर प्राइमरी शिक्षक भड़क गए थे। 21 फरवरी 2018 को दूसरी पाली में आयोजित इंटर अंग्रेजी द्वितीय प्रश्नपत्र की परीक्षा में पेपर कोड 117/2 323 (सीए) में बोर्ड ने छात्र-छात्राओं से प्रश्न पूछा था जिसका हिंदी में मतलब था- प्राथमिक स्कूल के शिक्षक की अपने कर्तव्य के प्रति कामचोरी (निकम्मेपन) का शिकायती पत्र जिलाधिकारी के नाम लिखें। बाद में यह प्रश्न पूछने वाले शिक्षकों को डिबार कर दिया गया था।