लॉकडाउन में मुजफ्फरनगर के दर्जनभर ईट भट्टा मजदूर पंजाब से मुक्त कराएं

"मजदूरों ने कहा हमें मालिक और ठेकेदार द्वारा लगातार प्रताड़ित किया गया"


उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के करीब 13 बंधुआ मजदूरों समेत करीब 37 अन्य मरीजों को पंजाब के कपूरथला और जालंधर जिलों के ईट भट्टों से मुक्त कराया गया है बंधक बनाकर रखे गए सभी 37 मजदूर बिलासपुर छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। जिन्हें एक्शन एड एसोसिएशन एवं नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन आफ बॉन्डेड लेबर के संयुक्त अभियान द्वारा छुड़ाया जाए। छुड़ाए गए बंधकों में 13 मजदूर मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं इन बंधुआ मजदूरों ने एक्शन एड लखनऊ को अपनी आपबीती सुनाई संस्था ने नेशनल कैंपेन कमिटी फॉर इरेडिकेशन ऑफ बॉन्डेड लेबर के साथ मिलकर मजदूरों को रेस्टो कराने की रणनीति बनाई पत्र लिखने के बाद भी स्थानीय प्रशासन ने इन्हें मुक्त कराने में कोई रुचि नहीं दिखाई एनसीसीईबीएल ने माननीय उच्च न्यायालय पंजाब का दरवाजा खटखटाया और जिला प्रशासन को आदेश पारित कराया एनसीसीईबीएल के संयोजक और मानवाधिकार कार्यकर्ता निर्मल गुरु ने बताया कि हमारी टीम को एक बंधुआ मजदूर ने सूचना दी थी कि यहां बच्चों एवं महिलाओं को फरवरी 2020 से बिना किसी वेतन के बंधक बनाकर कार्य करने पर मजबूर किया जा रहा है अब लोक डाउन के चलते मजदूर कहीं आ जा भी नहीं सकते हैं यहां हमारा लगातार मानसिक और शारीरिक शोषण हो रहा है निर्मल गोरा ने बताया कि पंजाब के कपूरथला एवं जालंधर के गांव में स्थित ईट भट्टों पर 50 बंधुआ मजदूरों को छुड़ाने का निर्देश माननीय उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन को दिया तब जाकर मुजफ्फरनगर और बिलासपुर छत्तीसगढ़ के मजदूरों को मुक्त कराया जा सका शासन की तरफ से मुफ्त में मजदूरों को  ₹300000 प्रति मजदूर आवास एवं खेती के लिए भूमि आवंटन से लेकर मजदूरों के शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं तक मजदूर पुनर्वास कानून के तहत प्रदान की जाती है। ताकि पीड़ितों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके एक्शन एड लखनऊ से इमरान हुसैन ने बताया कि संस्था इससे पहले भी देश के विभिन्न राज्यों से बंधुआ मजदूरों को मुक्त राज्य किया एक्शन एड और एन सी सी ई बी एल इस केस में भी निरंतर प्रयासरत थी अभी सभी मजदूरों को शासन के सहयोग की आवश्यकता है। क्योंकि पूर्व में भी संगठनों के प्रयास से मुक्त हुए बंधुआ मजदूरों को पुनर्वास ने मिलने कारण इन्हीं मजदूरों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है कुछ मामले आज भी कोर्ट में विचाराधीन है। लेबर लॉ एक्ट 1970 के तहत उन पर कार्यवाही भी हुई है एक्शन एड के जिला समन्वयक कमर इंतखाब ने कहा कि लॉकडाउन में सभी मजदूर अपने घर पहुंच कर अत्यंत प्रसन्न है हमें देखना है सभी भट्ठा मजदूरों की हालत वर्तमान में बड़ी दयनीय है। अधिकतर मजदूर भूमिहीन एवं अत्यंत गरीब है जो आसानी से बंधुआ मजदूरी के जाल में फिर फंस सकते हैं क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलित एवं मुस्लिम परिवार गरीब के कारण अधिक सुरक्षित हैं उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल बंधुआ मजदूरों की पुनर्वास योजना 2016 के तहत इन्हें पुनवर्सित किया जा सके।