कोरोना खाद्यान्न घोटाला मुजफ्फरनगर के लिए शर्म की बात:जुनैद रऊफ

मुज़फ्फरनगर


जनपद मुजफ्फरनगर के लिए कितने शर्म की बात है कि कोरोना खाद्यान्न घोटाला कराकर शासन और प्रशासन ने जनपद की किरकिरी कराईं है।
कोरोना खाद्यान्न घोटाले का संज्ञान लेते हुए कांग्रेस शहर अध्यक्ष मुजफ्फरनगर जुनैद रऊफ ने आरोप लगाया है कि मुजफ्फरनगर के कोरोना कवारंटाइन सेंटरों में हुए खाद्यान्न घोटाले में सरकार बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए छोटे मोहरों को बलि का बकरा बना रही है। जबकि सीधे सरकार से जुड़े लोग इसमें शामिल हैं,इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच अवश्य ही होनी चाहिए। शहर अध्यक्ष ने मांग की कि जिले में कवारंटाइन सेंटरों में जिस फर्म को भोजन मुहैय्या कराने का टेंडर दिया गया है, उसका खाद्य विभाग से पंजीकरण भी काफी समय पहले से खत्म हो जाने के बाद भी खतौली की अन्नपूर्णा एग्रो नामक फर्म को दें दिया गया, उसके लिए सिर्फ तहसीलदार स्तर के लोग ही जिम्मेदार नहीं हो सकतें।एक करोड़ से अधिक के इस घोटाले के असली मास्टरमाइंड बड़े अधिकारी हैं।जो सत्ताधारी दल से जुड़े लोगों के इशारे पर खेल को अंजाम दे रहे हैं। इन्हें बचाने के लिए ए डी एम अमित सिंह को छुट्टी पर भेज देना,और सदर तहसीलदार पुष्कर नाथ चौधरी को निलंबित कर देना इस बात की बानगी है। जबकि सक्षम अधिकारी होने के कारण बिना ए डी एम की मर्जी के उक्त फर्म को भुगतान नहीं हो सकता था। नियमानुसार इन सेंटरों पर ही भोजन बनाकर देने की व्यवस्था के विपरित प्रशासन द्वारा खतौली की उक्त फर्म को प्रति व्यक्ति75₹ के हिसाब से दो समय का भोजन उपलब्ध कराने का टेंडर स्वीकृत किया।और इसी के साथ सेंटरों से वापिस भेजें जाने वालों को एक राशन की किट जिसके दाम भी 1235₹ थे।साथ ही बेसहारा गरीब लोगों को निशुल्क बांटें जाने वाली किट का दाम भी 645₹ था। जबकि यह सब जनपद के सामाजिक संगठनों, उद्योगपतियों द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे थे।
"जबकि ‌‌लोकडाऊन के तत्काल बाद सरकार ने हर जरुरतमंदों तक राशन पहुंचाने का जिम्मा शासन/प्रशासन द्वारा भाजपा जिलाध्यक्ष व जनप्रतिनिधियों को दिया"जिसका सीधा सीधा अर्थ है कि पर्दे के पीछे से यह खेल शुरू से ही खेला जा रहा था। ऐसे में बड़े अधिकारी जवाबदेही से कैसे मुकर सकते हैं।इस घोटाले के पीछे सत्ताधारियों का हाथ है।
एक तरफ़ जहां कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी अपने कार्यकर्ताओं द्वारा प्रवासी मजदूरों को अपने पैसों द्वारा उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी लोग स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इस तरह के प्रकरण करके मुजफ्फरनगर जनपद की किरकिरी कराने का काम कर रहे हैं।