रमज़ान में बवाल को खुद टाल सकते है मुसलमान: डॉ. अरशद सम्राट

मुजफ्फरनगर


माह ए रमजान मुबारक के मौके पर लॉक डाउन का पालन करते नजर आए लोग जैसे के कोरोनावायरस जैसी बीमारी जब से आई लोगों के दिलों में दहशत का माहौल है। वही रमजान माह ए मुबारक के मौके पर सोशल डिस्टेंस का भी किया पालन वही आपको बता दें की कोरोनावायरस जैसी बीमारी से बचने के लिए लोगों ने माह ए रमजान मुबारक में नमाज व तरावीह भी अपने घरों पर अदा करनी शुरू करे दी।पूरे तीस दिन तक प्रत्येक बालिक मुसलमान को रोजा रखना अनिवार्य होता है।रोजे के दौरान सभी मुसलमान सुबह को सहरी और शाम को इफ्तार खाते हैं।सदियों से मुसलमान हर साल रमजान के पूरे एक महीने के रोजे भूखे-प्यासे रहकर रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।इस्लाम धर्म के मुताबिक रमजान के महीने को नेकियों,खुद पर संयम और आत्मनियंत्रण का महीना माना जाता है।मान्यता यह भी है कि इस दौरान रोजे रख भूखे रहने से दुनिया भर के गरीब लोगों की भूख और दर्द को भी समझा जा सकता है,क्योंकि तेजी से आगे बढ़ते इस दौर में लोग नेकी और दूसरों के दुख दर्द को भूलते जा रहे हैं।रमजान भी इसी दर्द का एहसास दिलाता है।केवल भूखे रहकर दूसरे के दर्द को समझने के अलावा इस महीने में रोजे को कान,आंख,नाक और जुबान से भी रोजा रखना माना गया है।इस्लाम धर्म के मुताबिक रमजान की मान्यता यह है की रोजेदार  ना तो बुरा सुनता है,ना बुरा देखता है,ना बुरा बोला जाता है और ना ही बुराई का एहसास किया जाता है। यह पूरा महीना सब्र और खुद पर नियंत्रण रखने का महीना होता है।रमजान का महीना रहमतों और बरकतों वाला महीना है और इस महीने में इबादत करने और कुरान पढ़ने का बहुत अधिक सवाब मिलता है।रमजान के महीने को तीन हिस्सों में बांटा गया है पहले दस दिन को रहमतों का दौर कहा गया है,दूसरे दस दिनों को माफी का दौर और आखिरी के दस दिनों को जहन्नुम से बचाने का दौर कहा गया है।रमजान के महीने में एक दिन शबेकद्र का दिन भी आता है,जो इस बार 19 मई को पड़ रहा है।इस दिन सभी मुसलमान रात भर जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं।रोजे के दौरान मुसलमान खानेपीने से दूर रहने के साथ-साथ किसी भी तरह के अपशब्द,गुस्सा और मनोरंजन करने से भी परहेज करते हैं।इस दौरान कुरान शरीफ पढ़कर और सेवा के जरिए अल्लाह को याद करते हैं।रमजान को नेकियों का मौसम बताते हुए उलेमाए लोग कहते हैं कि इस महीने में अधिक से अधिक इबादत कर अपने गुणों की तौबा करें।
कोरोनावायरस के दौरान रमजान के महीने में है आने वाले बवाल को हम खुद टाल सकते हैं.
बवाल यह हो सकता है कि हिंदुस्तान के अंदर लाखों मस्जिदें हैं अब इनमें से कई सैकड़ों मस्जिदों में यह घटना हो सकती है कि कुछ  मुसलमान तरावीह की नमाज के लिए मस्जिद जाएं ,भीड़ इकट्ठा करके इफ्तार पार्टी करें।इसके बाद मस्जिद के मुतवल्ली साहिबान, इमाम साहब मुश्किल मैं पड़ जाएंगे, मुक़दमा अलग होगा।फिर जो रैपिड टेस्टिंग होनी होगी वह सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों पर होगी और जब मुसलमानों पर होगी तो कोविड-19 की केसेस मुसलमानों में ज्यादा पाए जाएंगे और  लॉकडाउन 3 का कारण सिर्फ और सिर्फ हिंदुस्तान के मुसलमानों को ठहरा दिया जाएगा।आपके फोन में कुछ मैसेज इस तरह आ सकते हैं कि भारत सरकार आपकी तराबीह  की नमाज को रोकने के लिए इस तरह की साजिश रच रही है।अगर तरावीह की नमाज जमात से नहीं पड़ी तो फला आपदा आ सकती है।कोई भी समझदार मुसलमान एसे message नहीं भेजेगा।आप अपने घर पर ही नमाज पढ़े घर पर ही रोजा रखें और तराबीह  की नमाज भी घर पर ही पढ़ें ,घर पर ही इफ्तार करें किसी भी तरह के बहकावे में आकर किसी भी प्रकार का कोई मौका ना दे।इस तरह की महामारी में लॉक डाउन का फरमान हमारे नबी की तरफ से भी है और उसका पालन करें।इस बात पर गौर करे और जो मौके के ताक पर बैठे है उन्हें मौका ना दे।
रमजान महीना रोज़ा रखने के साथ इबादत करना और तरावी नमाज़ की अदायगी खसुसि अमल है अल्लाह रमजान महीने मे जन्न्त के दरवाज़े खोल देता है और जहन्नम के दरवाज़े बंद कर देता है करोना वाइरस से फैली महामारी के सबब पूरे देश मे लॉकडाउन बढ़ा कर 3 मई तक कर दिया गया है ऐसे हालात मे सभी नागरिकों को सरकारी आदेशों, निर्देशो पर अमल करना बेहद जरूरी है बार -बार सभी तबके और फिरके के लोग रमजान महीने के सिलसिले मे लोगो को आगाह कर रहे हैं।मुज़फ्फरनगर के अराकीन अपने -अपने तरीके से इमदादी काम मे लगे हैं ऐसे माहौल मे रमजान मे तरावी की नमाज़ अपने -अपने घरो मे सोशल डिस्टैन्सिंग यानी दो लोगो मे कम से कम एक मीटर की दूरी बनाये रख कर अदा करें मस्जिदों मे जाने से एहतियात बरते, साथ -साथ मस्जिदों मे एहतेकाफ के एहतेमाम से भी बचें  यहां यह बताना भी जरूरी है कि मगरबी और यूरोपियन मुमालिक मे सोशल डिस्टैन्सिंग ना अपनाने के शरारत से सभी वाकिफ हैं इसलिए जरूरी है कि घरो मे रहें साबुन से बार बार हाथ धूले और घर मे भी मास्क लगाने और एक दूसरे में कम से कम एक मीटर की दूरी हमेशा बनाये रखें।मुज़फ्फरनगर की अवाम के साथ साथ आम जनता से भी गुजारिश करता हू कि ऐसे मुसीबत के दिनों मे अपने पड़ोसियों का खास ख्याल रखें खुदा नाराज़ है शायद इसलिए अपने रब से सबकी सलामती के लिए खुसूसी दुआ करते हैं। अपने देश के लिए दुआ करते हैं कि अल्लाह जल्द से जल्द इस महामारी से शिफा अता फरमा दे।