घर-पर-रहे-पर-चुप-नहीं रहे- राकेेेश टिकेट


मुज़फ्फरनगर


भारतीय किसान यूनियन देश के विभिन्न राज्यों में अन्तर्राष्ट्रीय किसान संघर्ष दिवस का आयोजन किया गया है। किसानों ने अलग तरीके से लाखों गांव में अपने घरों के गेट पर खडें होकर कृषि यंत्रों के साथ अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया पर आर्थिक पैकेज के मांग करते हुए फोटो शेयर की। सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के समय हो रहे नुकसान पर कोई राहत न दिये जाने पर अपने गुस्से का इजहार किया। किसानों ने कहा कि अब कृषि में संरचनात्मक सुधारों की मांग करने का समय आ गया है। 
भारत सरकार को अपने नागरिकों के लिए निरोग और सांस्कृतिक रूप से उचित खाद्य पदार्थों की व्यवस्था करना और खाद्यान की कमी को दूर करना चाहिए। सरकार को अंतर्राष्ट्रीय कृषि कंपनियों के उपयोगी वस्तुओं पर किसी भी प्रकार के एकाधिकार को खत्म करने की तरफ कार्य करना चाहिए जिससे कि भूख के विरूद्ध इस लड़ाई में स्वास्थ्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए हमें किसानों, कृषि और स्थानीय कृषि - बाज़ार को बढ़ावा देना चाहिए एवं उन्हें सहायता प्रदान कराना चाहिए।
अब समय आ गया है जब हमें हमारे किसानों की खाद्य संप्रभुता को बचाना होगा। साथ ही साथ किसानों और ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों को भी सुनिश्चित करना होगा। इस समय महिला, ग्रामीण मजदूर, प्रवासी और शहरी मजदूर जैसे कमजोर वर्ग के लिए जरूरी सार्वजनिक नीतियों को बढ़ावा देना होगा जिसका की अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले।
17 अप्रैल 2020 को भारतीय किसान यूनियन ने लोगों से घर पर रहने मगर साथ ही साथ किसान आत्महत्याओं, खेतों से उनकी बेदखली और आर्थिक अवरोधों का जोरदार विरोध करना और इस अत्याचारों पर चुप नहीं रहने का आह्वान किया है। इसी के साथ देशवासियों से किसान संघर्षों के निरंतर अपराधीकरण का विरोध और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं की अनिश्चित परिस्थितियों को उजागर करने के लिए कहा है। यह संकट हमें एक बार फिर दिखाता है कि आज की पूंजीवादी व्यवस्था में आधारभूत बदलाव लाने की आवश्यकता है। यह एक ऐसी प्रणाली है जो प्रकृति और जीवन के साथ अस्थिर और असंगत है। यह न केवल अधिक सहायता कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का समय है बल्कि कृषि - खाद्य प्रणालियों में संरचनात्मक परिवर्तन शुरू करने का भी समय है। क्वारांटाइन और वर्षों से छोटे किसान आधारित कृषि की उपेक्षा वैश्विक भुखमरी जैसा एक गंभीर परिणाम ला सकती है।
किसान के रूप में हमारा काम लोगों को भोजन उपलब्ध करना है, और हम ऐसा करना जारी रखेंगे। हम समझते हैं कि स्वस्थ भोजन का उत्पादन बंद नहीं हो सकता है और यह कोविड-19 के खिलाफ रक्षा का पहला चरण है। इसके लिए संकट के दौरान और इसके बाद भी किसानों के लिए सुरक्षित और गरिमापूर्ण जीवन-यापन की व्यवस्था होना आवश्यक है। इस 17 अप्रैल 2020 पर भारतीय किसान यूनियन अंतर्राष्ट्रीय किसान संघर्ष दिवस के रूप में एकजुटता को कायम रखते हुए दुनिया के हर कोने में सामूहिक रूप से काम करना जारी रखेगी। आज हम किसान समाज को परिवर्तनकारी और प्रगतिशील विचारों के बारे में सोचने का आह्वान करते हैं। हम आपसे तब तक के लिए आग्रह करते हैं कि जब तक हम इस आपातकाल का कोई उत्तर नहीं पा लेते हैं हम गठबंधन और एकजुटता के साथ किसानों और श्रमिकों के रूप में हमारे सामूहिक अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे। हमारा प्रतिरोध जारी रहेगा!


जुताई से जवाब की तलाश तकः- हमें अपने इतिहास से सीखने की जरूरत है। सामूहिक रूप से काम करना आवश्यक है क्योंकि कई हजार वर्षों से यह प्रथा चलती आ रही है। सिविल सोसायटी, संगठित लोगों और राष्ट्रों को न्याय और गरिमा के लिए व्यापक रूप से मिलकर काम करना होगा।
सार्वजनिक नीतियां - लोगों के जीवन में सार्वजनिक नीतियों के दूरगामी प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिक वर्ग के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और बेहतर जीवनशैली के अधिकार का बचाव करना आवश्यक है। हम सबको निजीकृत हुई सार्वजनिक सेवाओं को पुनर्प्राप्त करने और पुनः सरकारी सेवाओं में बदलने का कार्य करना होगा। सार्वजनिक प्रणाली को ध्वस्त करने वाली सरकार अब अपनी गंभीर गलतियों का परिणाम भुगत रही हैं।
खाद्य संप्रभुताः मानवजाति को निरोग और निरंतर रूप से खाद्यान आपूर्ति करना अति महत्वपूर्ण है। ग्रामीण किसान बाजार और स्थानीय मेलों को शहरों के लिए खाद्यान आपूर्ति और भूख को रोकने के लिए तुरंत खोलना चाहिए। इस संकट के दौरान सरकारों को छोटे पैमाने पर किसानों द्वारा उत्पादित भोजन की सार्वजनिक खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए। हमें एग्रोकोलॉजी के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए और अपनी शारीरिक प्रतिरक्षा को बेहतर बनाने के लिए हमारे समुदायों को पौष्टिक, स्वस्थ भोजन खिलाना चाहिए जो सुपरमार्केट और फास्ट फूड चेन कभी उपलब्ध नहीं करा सकते।



  • भारत सरकार को क्वालिटी पब्लिक हेल्थ केयर में निवेश की गारंटीः- कोविड-19 संकट के संदर्भ में, जीवन की रक्षा में दृढ़ प्रतिबद्धता और बिना भेदभाव के साथ, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में, निः शुल्क परीक्षण और पूर्ण उपचार सुनिश्चित कराना अति आवश्यक है। इस संकट में हम किसी भी सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण या उससे लाभ उठाने के सभी प्रयासों भरपूर विरोध करना चाहिए।
    जैसा कि 2018 में संयुक्त राष्ट्र घोषणा में कहा गया है कि किसान अधिकारों की गारंटी देना आवश्यक है। हमें अपनी जनसंख्या को सुरक्षित खाद्यान आपूर्ति के लिए भूमि, बीज और सभी आवश्यक शर्तों तक किसान की पहुंच को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इस मायने में, ग्रामीण इलाकों के बुनियादी ढांचे में सुधार से भोजन की उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है। इस संकट में, हमें खेती के क्षेत्रों में वृद्धि करने और प्रकृति के साथ सामंजस्य के साथ लोकप्रिय कृषि सुधार और किसान कृषि के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही साथ हमारी आबादी को स्वस्थ भोजन प्रदान करना और पृथ्वी के वातावरण को ठंडा करने की भी आवश्यकता है।
    बुआई करें गठबंधन और एकजुटता कीः-
    यह संकट हमें परिवर्तन के बीज फैलाने का एक अवसर भी देता है। हमें समाज के विभिन्न मॉडल और कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए भूमि तैयार करनी चाहिए। यह कार्य उन गठबंधनों के निर्माण की कामना करता है जो आगे बड़े उपयोगी हैं। एकजुटता और अंतर्राष्ट्रीयता हमारे समाजों के इस पुनः निर्माण के प्रेरक मूल्य होने चाहिएः
    ग्रामीण / शहरी गठबंधन - हमें मजबूत गठबंधनों को बढ़ावा देना चाहिए जो देश और शहरों में श्रमिक वर्ग के अधिकारों को जोड़ते हैं; और जीवन की गुणवत्ता बिगड़ने, अधिकारों की हानि, सामूहिक छंटनी और निष्कासन के खिलाफ एकजुट होते हैं।
    निर्माता / उपभोक्ता - हमें कृषि को वायदा बाजारी और इसे सिर्फ खरीदने और बेचने की वस्तु समझने वाली सोच का विरोध करना चाहिए। हमें व्यापार के लिए अपने स्थानीय नेटवर्क को बढ़ावा देना चाहिए। स्थानीय किसान बाजारों को मजबूत करते हुए उचित व्यापार और वस्तु विनिमय व अन्य अन्य प्रणालियों को बढ़ावा देना चाहिए।
    कमजोर क्षेत्र - जीवन की रक्षा और विविधता का सम्मान करने की दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, सबसे कमजोर आबादी और कमजोर वर्गों जैसे कि विकलांग लोगों, बुजुर्गों, महिलाओं और मानसिक रूप से बीमार रोगियों के अधिकारों का मजबूती से समर्थन करना चाहिए।
    फसल काटें, किसानों और श्रमिकों के रूप में हमारे सामूहिक अधिकारों कीः-
    कोविड-19 के बीच हम जिस प्रकार से आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं और आगे करेंगे। यह अति आवश्यक है की हम मजदूर वर्ग, किसानों और बहुत से जरूरतमंद लोगों के उपचार और समर्थन का आवाह्न करें। यही सही समय हैं।
    भारतीय किसान यूनियन की प्रमुख मांगेः
     1.5 लाख करोड़ (सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5 प्रतिशत) का आर्थिक पैकेज किसानों के लिए भारत सरकार मुहैया कराए

  • गांव स्तर पर कृषि उत्पादों का न्यूनतम सहायता मूल्य पर खरीद हो।
     हमारे किसानों को प्रोत्साहित करे और कृषि उत्पादों के आयात पर निर्भरता को समाप्त कर कृषि आयात पर रोक लगाई जाए।
    दुग्ध, सब्जियों एवं फल-फूल उत्पादक किसानों की सहायता की जानी चाहिए। दुग्ध एवं फल - फूल की खरीद गांव - गांव से होना चाहिए। साथ ही साथ इन खराब होने वाली वस्तुओं का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित होना चाहिए।
     पिछले दिनों भारी ओलावृष्टि और बारिश के चलते किसानों को हुए भारी नुकसान की भरपाई सरकार उनके एक साल तक का बिजली, पानी, और बैंक लोन पर ब्याज को माफ किया जाए।
     विदेशी ऋणों का भुगतान नहीं करके स्वास्थ्य, शिक्षा, श्रम और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सार्वजनिक नीतियों में पुनर्निवेश को प्राथमिकता दे।


अब समय है अपने अधिकारों के साथ, खेती करने का, फसल बोने का,  फसल काटने का, घर-पर-रहे-पर-चुप-नहीं रहे।- राकेेेश टिकेट