छुपी प्रतिभा एवं रचनात्मक शक्ति को उभारने का प्रयास है बाल मंथन पत्रिका :डॉ रणवीर सिंह

जहाँ पूरा विश्व कारोना जैसी महामारी से जूझ रहा है वहीं सरकारी शिक्षा को बेहतर बनाने और विद्यार्थियों के सर्वांगीण के लिए सरकारी शिक्षक कर्मठता से लगे हुए हैं।
पूरे भारत वर्ष में शिक्षकों का एक स्वेच्छिक समूह मंथन-एक नूतन प्रयास के नाम से सरकारी शिक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रहा है।।                  


इस समूह के नेशनल कोऑर्डिनेटर डॉ रणवीर सिंह ने बताया कि सभी शिक्षकों के साझा प्रयास से और पिछले 3 माह के प्रयास के बाद  बाल मंथन इ पत्रिका का ऑनलाइन विमोचन किया गया।'बाल मंथन 'पत्रिका के मुख्य सम्पादक सुरेश राणा ने बताया कि इस पत्रिका को तैयार करने में सरकारी स्कूलों के विभिन्न प्रदेशों के कई शिक्षक बड़ी तल्लीनता से लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि हम सभी के अंदर एक छोटा सा बचपन छुपा होता है।बचपन में सुने हुए किस्से और कहानियाँ हम कभी भी नहीं भुला पाते।हाँ इतना जरूर है कि समय की दौड़ धूप के साथ वह बचपन कहीं शांत होकर हमारे मन के किसी कोने में चुपचाप बैठ जाता है पर आज भी यादों की गलियों में हमारा नटखट बचपन उछलता कूदता हमारे सामने आ ही जाता है।बचपन अक्सर हमें गुदगुदाता है और हल्की सी लकीरें होठों पर अनायास ही ले आता है।हम सब बचपन एक बार फिर जीना चाहते हैं। बच्चे अत्यंत ही क्रियाशील होते हैं।उनमें गजब की प्रतिभा एवं रचनात्मक शक्ति छुपी रहती है।अक्सर हम उनकी क्षमताओ को कम आंक बैठते हैं।आवश्यकता है उनको सही दिशा देने की उनको उचित मार्गदर्शन एवं अवसर उपलब्ध करवाने की।
      मनोज पंवार सदस्य सरंक्षक मंडल ने कहा कि  'बाल मंथन पत्रिका' के माध्यम से प्रयास किया गया है कि यह बालकों को उनकी सोच,उनकी जिज्ञासा,उनकी कल्पनाओं तथा उनकी रंगीन नटखट दुनिया को अभिव्यक्त करने का मंच उपलब्ध करवाए।यह उनमें छुपी प्रतिभा एवं रचनात्मक शक्ति को उभारने का प्रयास करेगी तथा भाषा संवर्धन में महती भूमिका अदा करेगी।बच्चों को साहित्य से संवाद करने का अवसर  मिलेगा।यह पत्रिका केवल बालकों के लिए ही नहीं अपितु शिक्षक,अभिभावक तथा शिक्षाविदों के लिए उपयोगी होगी। सह सम्पादक नरेश जागड़ा ने बताया कि यह पत्रिका ऑनलाइन उपलब्ध होगी।बच्चे पत्रिका को मोबाइल पर आसानी से पढ़ सकेंगे।यह पत्रिका बच्चों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी ।इस कार्य मूर्तरूप देने में हरियाणा से स्वीटी भारती,नरेश जागड़ा,अशोक वशिष्ठ,प्रदीप बालू, मनदीप सिंह, रमेश कम्बोज,सबरेज अहमद,सुमन मलिक, सेवा सिंह मुवाल ,छत्तीसगढ़ से अर्चना शर्मा,उत्तरप्रदेश से बृजेश पांडे, दीपिका गर्ग, राजस्थान से रेहाना चिश्ती,राकेश कुमार,उत्तराखंड से कुसुमलता,प्रतिभा डोलका,पुष्पंजलि अग्रवाल,बिहार से हरिदास शर्मा,रश्मि कुमारी,मध्यप्रदेश से कीर्ति चावला,पंजाब से निर्भय सिंह,परमिंदर कौर,कर्नाटक से नाजिया सुल्ताना, सुनील कुमार,गुजरात से भावना पटेल, अश्विनी सोलंकी,मध्यप्रदेश से चन्द्र कुमार जैन आदि शिक्षकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।इस पत्रिका की डिज़ाइनिंग सबरेज अहमद द्वारा की गई।
मंथन के संस्थापक सदस्य संजय वत्स ने इस अवसर पर सभी को बधाई दी।ज़िला विद्यालय निरीक्षक गजेंद्र कुमार ने इस अवसर पर शुभकानाएं देते हुए कहा कि पत्रिका बच्चों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी।