अल्पसंख्यक स्कूलों को झटका, शिक्षक भर्ती नही करेंगे हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत..!

प्रयागराज


  इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार इंटरमीडिएट एक्ट में संशोधन संबंधी सरकार के फैसले को वैध करार देते हुये कहा है कि यह संशोधन अल्पसंख्यक विद्यालयों को अनुच्छेद 30 के तहत मिले प्रबंधन के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता।न्यायालय ने प्राइवेट एजेन्सी से लिखित परीक्षा करा कर मेरिट लिस्ट बनाकर चयन के लिये प्रबंध समिति को शिक्षा अधिकारी के मार्फत भेजने के शासनादेश को सही माना है और कहा है कि इससे अल्पसंख्यक विद्यालयों के नियुक्ति के अधिकार का हनन नहीं होता । 


 
न्यायालय के आज के फैसले से प्राइवेट एजेंसी के मार्फत अल्पसंख्यक विद्यालयों में लिखित परीक्षा के बाद मेरिट लिस्ट बनाकर चयन के लिये प्रबंध समिति द्वारा साक्षात्कार के बाद भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।


यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने नेशनल इंटर कॉलेज शिकारपुर बुलंदशहर समेत 32 अन्य याचिकाओं को को खारिज करते हुए दिया है ।


राज्य सरकार ने इस संशोधन के जरिए व्यवस्था दी है कि सरकारी वित्तीय सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक विद्यालयों के अध्यापकों की भर्ती में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निर्देशन में प्राइवेट एजेन्सी द्वारा लिखित परीक्षा लेकर मेरिट के आधार पर भर्ती की जाएगी।


प्राइवेट एजेंसी भर्ती प्रक्रिया पूरी कर मेरिट के आधार पर शिक्षा अधिकारियों के मार्फत कालेज के प्रबंध समिति को चयनित अभ्यर्थियों का नाम भेजेगी जिनकी नियुक्ति प्रबंध समिति साक्षात्कार लेकर करेगी।


अदालत ने कहा है कि प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा करा कर अल्पसंख्यक वित्तीय सहायता प्राप्त कालेजों में अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पारदर्शिता पूर्ण व ,पक्षपात रहित है ।यह प्रक्रिया किसी भी तरीके से मनमाना पूर्ण नहीं है। इसमे पारदर्शिता है जो छात्रों एवं जनहित में होने के साथ-साथ राष्ट्रीय हित में भी है। इस प्रक्रिया से अल्पसंख्यक विद्यालयों में योग्य अध्यापक मिल सकेंगे जिससे छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार होगा ।


आदेश में कहा गया है कि अध्यापकों की भर्ती मामले में सरकार की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है और न ही सरकार इसमें किसी प्रकार का हस्तक्षेप कर रही है। सरकार ने अध्यापकों की शिक्षा की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए प्राइवेट एजेंसी से लिखित परीक्षा करा कर योग्य अध्यापकों की नियुक्ति की व्यवस्था की है।अभी तक विद्यालयों की प्रबंध समिति साक्षात्कार के जरिए अपने अध्यापकों की नियुक्ति करती रही है।


न्यायालय ने कहा कि नियुक्ति का अधिकार प्रबंध समिति को होगा। चयन प्रक्रिया सरकारी निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा पूरी की जाएगी और चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए अग्रसारित किया जाएगा जिन्हें नियुक्त करने का प्रबंध कमेटी को पूरा अधिकार होगा। इस मामले में सरकारी अधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।


याचिकाओं में उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम रेगुलेशन 17 चैप्टर 2 एवं 20 मार्च 2018 को जारी अधिसूचना की वैधता को चुनौती दी गई थी । याचियों का कहना था कि यह उपबंध अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक विद्यालयों को मिले मूल अधिकारों का खुला उल्लंघन है जिसे रद्द किया जाए ।


अदालत ने कहा कि संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देशन में प्राइवेट एजेंसी द्वारा लिखित परीक्षा कराना और मेरिट लिस्ट तैयार कर नियुक्ति के लिए प्रबंध समिति को अग्रसारित करना, अनुच्छेद 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक विद्यालयो को मिले अधिकारों में किसी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं है ।