उत्तराखंड: चारधाम समेत ऊंची पहाड़ियों पर बर्फबारी और ओलावृष्टि से फिर बढ़ी ठिठुरन

उत्तराखंड में बीते चार दिन तक मिली राहत के बाद एक बार फिर से बारिश और बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं मौसम विभाग के अलर्ट के अनुसार आज राजधानी देहरादून में मौसम ने करवट बदल ली है। यहां सुबह से बादल छाए हैं और कड़ाके की ठंड पड़ी। दोपहर बाद काले बादल छा गए और बूंदाबांदी शुरू हो गई।


पहाड़ों की रानी मसूरी में दोपहर बाद मौसम ने मिजाज बदला। हल्की बूंदाबांदी होने से तापमान में गिरावट आई। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और बारिश का अनुमान जताया है। संबंधित विभाग को सतर्क रहने के दिए निर्देश भी दिए गए हैं। 


सोमवार दोपहर से पहाड़ में शुरू हुई बारिश और बर्फबारी से कड़ाके की ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। सोमवार को गंगोत्री-यमुनोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ में दोपहर बाद से बर्फबारी शुरू हो गई है। वहीं, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले के करीब 100-100 और चमोली जिले के करीब 40 गांवों में पूर्व में गिरी बर्फ अभी पिघली भी नहीं थी कि दोबारा बर्फबारी शुरू हो गई है, जिससे ग्रामीणों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। 


बदरी-केदार समेत औली में भी हुई बर्फबारी
गंगोत्री व यमुनोत्री धाम सहित मुखबा, हर्षिल, राड़ी टॉप आदि तमाम ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई है, जबकि जिला मुख्यालय समेत अन्य नगरीय क्षेत्रों में रिमझिम बारिश हो रही है।


जिला मुख्यालय पर सोमवार को अधिकतम तापमान 9 डिग्री व न्यूनतम 3 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं बर्फबारी वाले इलाकों में अधिकतम तापमान 2 डिग्री और न्यूनतम माइनस 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।


उधर, चमोली जिले के निचले इलाकों में हल्की बारिश और शाम चार बजे से बदरीनाथ, हेमकुंड और औली, गोरसो में बर्फबारी शुरू हो गई। इसके अलावा निजमुला, नीती घाटी के ऊंचाई वाले गांवों में भी बर्फबारी शुरू हुई। जिले के पाणा ईराणी, घुनी रामणी, पल्ला जखोला, मलारी सहित अन्य गांवों में भी बर्फबारी हुई। बर्फबारी से जोशीमठ में कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है।


मौसम खराब होने से औली पहुंचे पर्यटक जल्द ही गेस्ट हाउस और होटलों में लौट आए। उधर, गोपेश्वर, चमोली सहित अन्य जगहों पर बारिश होने से कड़ाके की ठंड पड़ रही है। चमोली जिले में अभी भी 40 से अधिक गांव बर्फ से ढके हैं, जबकि दर्जनों गांवों में अभी भी हल्की बर्फ जमी है।


स्थिति यह है कि ठंड से कई गांवों में पाइप लाइनों में पानी जम गया है। लोगों के खेत खलियान सब बर्फ से ढके हैं। जंगल में भी पेड़ों पर बर्फ जमी है। ऐसे में लोगों को चारा पत्ती लाने में भी भारी दिक्कत हो रही है। उधर, टिहरी जिले के धनोल्टी सहित ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में औले गिरने के साथ ही बारिश हुई। धनोल्टी से औले गिरने से यातायात भी अवरुद्ध हो गया और बिजली भी गुल हो गई है।
 
पहाड़ों में हुई बर्फबारी से परिवहन निगम को झटका
पहाड़ों में हुई बर्फबारी से जहां आम जनजीवन पर खासा असर पड़ा, वहीं परिवहन निगम को भी करारा झटका लगा है। बर्फबारी के चलते बसों का संचालन न होने से परिवहन निगम की आय में भारी कमी हुई है।


महाप्रबंधक दीपक जैन का कहना है कि बर्फबारी से हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जिन इलाकों में मौसम साफ  है और बसों का संचालन किया जा सकता है तो बसों के संचालन कराया जाय।


परिवहन निगम के पर्वतीय डिपो व आईएसबीटी से पर्वतीय इलाकों के लिए बसों का संचालन किया जाता है लेकिन पिछले दिनों मसूरी समेत राज्य के ज्यादातर पर्वतीय इलाकों में हुई बारिश व भारी बर्फबारी के चलते बसों का संचालन नहीं हो पाया। जिसकी वजह से न सिर्फ आमजन को आवाजाही में दिक्कत हुई वरन परिवहन निगम की आय को भी करारा झटका लगा है।


हालांकि ज्यादातर रूटों पर बसों के संचालन बहाल कर दिए गए हैं लेकिन अभी भी कई ऐसे मार्ग हैं जहां बसों का संचालन सुचारू नहीं हो पाया है। महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि बर्फबारी से हुए नुकसान का आकलन कराया जा रहा है। डिपो वाइज इस बात की जानकारियां जुटाई जा रही है कितनी बसों का संचालन नहीं हुआ? और आय को कितना नुकसान हुआ है?


पिछले दिनों मसूरी में हुई बर्फबारी के दौरान पर्वतीय डिपो से बसों के संचालन पर रोक लगा दी गई थी जिसके चलते यात्रियों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। अब बसों का संचालन जारी है।