होली चाइल्ड पब्लिक इण्टर कॉलेज के सभागार में विद्यार्थियों के लिए वैज्ञानिक शिक्षा पर कार्यशाला का आयोजन

होली चाइल्ड पब्लिक इण्टर कॉलेज, जडौदा, मुजफ्फरनगर के सभागार में विद्यार्थियों के लिए वैज्ञानिक शिक्षा पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि एवं आज के वक्ता डॉ0 अनुज कुमार (वैज्ञानिक यू0एस0ए0) जसवीर सिंह, रीटा दहिया, धीरज बालियान, आजाद सिंह, विरेन्द्र राजवंशी एवं प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया द्वारा विद्या दायिनी माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया गया। मंच का संचालन प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया ने किया। 
 डॉ0 अनुज कुमार ने अपनी बात प्रारम्भ करते हुए बच्चों को बताया कि मैं भी आपके बीच से ही आया हूँ। कोई भी मुकाम हासिल करना असंभव नहीं होता बस केवल अपना लक्ष्य निर्धारित करके उस पर पूरी निष्ठा के साथ चलना होता है। शहरों की अपेक्षा ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों को अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होती है क्योंकि उनके पास आधुनिक सुख-सुविधाओं की कमी होती है। हम जो भी विषय पढे उसे रटने की अपेक्षा समझकर पढेगें तो वह आपको बहुत अच्छे से समझ में आयेगा। अपने अंदर की जिज्ञासा को जगाकर अध्ययन करे। यदि हमारे अंदर कोई जिज्ञासा हो तो उस पर प्रश्न पूछने में अपने अध्यापक से कभी भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करनी चाहिए। यदि आप अपने लक्ष्य को बार-बार प्रयास करने पर भी प्राप्त नहीं कर पा रहे है तो हतोउत्साहित न होकर अपने लक्ष्य की ओर बिना मार्ग बदले निरन्तर आगे बढते रहे, सफलता एक दिन तुम्हारे कदम जरूर चूमेगी। 
 विज्ञान की विभिन्न ब्राचें है जैसे- एसट्रोनॉमी (खगोलशास्त्र), एग्रीकल्चर साइंस, अनिमल साइंस, बाइलॉजी, कैमिस्टरी, परिस्थितिकी, भूगर्भ शास्त्र आदि बस यह निर्धारित करे कि हमारी रूचि किसमें है। रूचि और आवश्यकता बेहद जरूरी है क्योंकि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। भूगर्भ शास्त्र में भी आप अपना कैरियर बना सकते है क्योंकि आज इसकी बेहद आवश्यकता है, क्योंकि हमारी पृथ्वी सड चुकी है उसमें कैसे सुधार करें। कनाडा, यू0के0 आदि देशों में इस पर कार्य शुरू हो चुका है, वहां पर आप गंदगी नहीं फैला सकते है, गंदगी फैलाने पर एक लाख रूपये तक फाईन देना पडता है। प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी विज्ञान की सबसे पहली शाखाएं है इनके बिना आप विज्ञान में आगे नहीं बढ सकते। आई0टी0, कम्प्यूटर साइंस, एन0आई0टी0, एरोस्पेस टैक्नोलॉजी, सिविल इंजीनियरिंग, मैंकेनिकल, इलैक्ट्रिकल, कैमिकल इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर इंजीनियररिंग, रोबोट इंजीनियरिंग आदि में भी आप अपना कैरियर बना सकते है। उन्होंने बताया कि यू0एस0ए0 में तृतीय कक्षा के बच्चे रोबोट के पार्ट तैयार कर रहे है। आने वाले वर्षों में आदमी रोबट पर ही निर्भर होगा। अतः आप इसमें भी आप अपना कैरियर सुरक्षित कर सकते है। 
 ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों में अंग्रेजी भाषा की समस्या है हमें इसमें सुधार करना होगा क्योंकि अंग्रेजी अंतराष्ट्रीय स्तर की भाषा है, यदि आप प्रत्येक दिन 15 मिनट अंग्रेजी उच्चारण सुनोगे तो आप काफी सुधार कर सकते है। अंग्रेजी पढना और व्यवहार में लाना दोनों अलग-अलग है। अंग्रेजी के चार भाग है, रीडिंग, लिस्निंग, राईटिंग, स्पीकिंग इन चारों पर बराबर-बराबर ध्यान देकर भी अपनी भाषा शैली में काफी सुधार कर सकते है।  
 ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों के लिए पैसों की सबसे बडी समस्या होती है इसके लिए 12 वीं के बाद स्कोलरशिप के लिए फॉर्म भरें। जो आप सरकार, फाउण्डेशन, एन्ज्यो, किसी के भी माध्यम से प्राप्त कर सकते है। विद्यार्थियों को अपने माता-पिता पर ज्यादा निर्भर ना रहकर आत्मनिर्भर बनना चाहिए। यू0एस0ए0 में 12 साल के बाद बच्चा अपने माता-पिता से अलग हो जाता है और स्वेच्छा से अपने खर्चों के लिए खुद काम करता है। बी0एस0सी0, बी0टैक0 का विद्यार्थी यू0एस0ए0 में इतना कमाता है जितना यहां एक अधिकारी कमाता है। अतः हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि अभी तो हम पढ रहे है, पढाई के बाद ही हम अपना खर्च खुद उठाएगें। यदि आप देश के हित में कुछ करना चाहते है तो सर्वप्रथम आपको आत्मनिर्भर बनना होगा। 
 कार्यक्रम का समापन करते हुए प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया ने डॉ0 अनुज कुमार तथा उनके साथ आये उनके पिताश्री जसबीर सिंह का आभार तथा धन्यवाद किया तथा डॉ0 साहब के द्वारा बच्चों को दी गयी आधुनिक जानकारी के लिए धन्यवाद करते हुए सम्मान प्रतीक देकर एवं शॉल उढाकर उनका सम्मान किया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समस्त स्टाफ का भरपूर सहयोग रहा।